सरकारी दामाद अब बार-बार
हड़ताल करने लगे हैं,
अपनी मांगे मनवाने को
पंडो की तरह अड़ने लगे हैं.
हमारी नौकरशाही
भ्रष्टाचार में लिप्त है,
प्रशासन इनकी मनमानी पर सुप्त है.
इनके घर चांदी बरसती है
आम जनता राहत को तरसती है.
सरकारी कामकाज
अटक अटक कर चलता है.
'दिवाला' इनका नहीं
जनता का निकलता है।
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