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बुधवार, 29 मई 2019
सोमवार, 27 मई 2019
सरकारी दामाद
सरकारी दामाद अब बार-बार
हड़ताल करने लगे हैं,
अपनी मांगे मनवाने को
पंडो की तरह अड़ने लगे हैं.
हमारी नौकरशाही
भ्रष्टाचार में लिप्त है,
प्रशासन इनकी मनमानी पर सुप्त है.
इनके घर चांदी बरसती है
आम जनता राहत को तरसती है.
सरकारी कामकाज
अटक अटक कर चलता है.
'दिवाला' इनका नहीं
जनता का निकलता है।
शुक्रवार, 24 मई 2019
पंडे पाखंडी और जनता
पंडे, पाखंडी और जनता
चारों ओर पंडे, पाखंडियों का जोर है,
उनके काले कारनामोंं का शोर है.
फिर भी कोई उन्हें सजा नहीं देता,
शायद भ्रष्ट नेताओं का जोर है.
क्या दे पाएगा पंडा हमको ज्ञान ?
जब खुद वह औरतखोर है.
जो फंस गया इनकेेे जाल में
संकट में उसके जीवन की डोर है.
जनता भी है, अपने आप को लुटवाती
वह भी अंधविश्वासी और कामचोर है.
मेरी यह कविता 'सरिता' नामक पत्रिका में सन् 2000 दिसंबर में प्रकाशित हुई थी उसी की कतरन यहांं शेयर की है.
छद्म राष्ट्रीयता
आओ इस छद्म राष्ट्रीयता का जश्न मनाएं
जहां रोम जले और नीरो बांसुरी बजाए
खून पीने वाले ये एकता के सिपाही
जिन का घाव अभी भरा नहीं है
पहना दो उसे कफन
क्योंकि वह अभी मरा नहीं है
और सारी राष्ट्रीयता
एक कूप मंडूक के समान
भोग रहे हैं जो आजादी की वीभत्सता
एक पागल अहेरी के समान
सोमवार, 20 मई 2019
कविता का स्वरूप
कैसा हो कविता का स्वरूप, आओ इस पर मनन करें
समाज - देश की समस्याओं का कविता में चयन करें।
मनोरंजन और प्रेरणाा का स्रोत हो
छोड़कर लकीरें, कुछ नई खोज हो
सौंदर्य- बोध हो पर अश्लीलता का दमन करें।
मनुुष्यत्व को नया आयाम दें
पशुुत्व को विराम दें
रूढ़िवादिता को दफन करें।
मात्र कलम चलाना न कवि का काम हो
कर्म वीरता से भी वह प्रधान हो
कवि जन कला की रोशनी में तपन करें
समाज देश की समस्याओं का कविता में चयन करें।
शुक्रवार, 17 मई 2019
यमदूत और किसान का पुत्र
साथियों ! बहुत समय पहले की बात है किसी गांव में एक किसान रहता था. उसने खेत में विद्युत कनेक्शन के अर्थ पावर बनाने के लिए एक गड्ढा खोद रखा था उसमें खूब सारा पानी भरा था और उसमें नमक डाल रखा था।
उसी किसान के एक पुत्र था बड़ा भोला, मासूम और चंचल किसान ही नहीं उस की चंचलता के चलते सारा गांव उसे पसंद करता था
एक दिन की बात है यमराज ने अपने दूतों सेे कहा,"किसान के पुत्र की आयु पूरी हो चुकी है उसके जीव को तुरंत यहांं ले आओ."आज्ञा पाकर यमदूत पृथ्वी के लिए चल दिए.
भोर होने वाली थी पृथ्वी का वातावरण पाते ही यमदूतों को प्यास लगी तो उन्होंने उस गड्ढेे में से पानी पी लिया नमक का एहसास होते ही एक दूत ने कहा "अरे इसमें तो नमक है हमने किसान का नमक खा लिया हैै"
"यह तो बुरा हुआ अगर हम उसके बेटे को मारेंगे तो उसकेे साथ गद्दारी होगी नमक हराम कहलाएंगेे हम"दूसरा बोला
"और अगर उसके बेटे का जीव निकालकर नहीं ले गए तो यम महाराज हम पर कुपित होंगे उन्हें क्या जवाब देंगे हम."
तीनों चिंतातुर हो उठे. वे सोच मेंं डूब गए कि इस समस्या का क्या समाधान खोजा जाए अंततः एक ने कहा,"मैंने एक युक्ति खोज निकाली है जिससे न तो किसान से ही नमक हरामी होगी और न यमराजजी को जवाब देेना पड़ेगा."
"क्या युक्ति है?"
"इसके लिए हमें किसान को चलकर समझाना होगा"
फिर वे तीनों किसान के पास गए उसे बताया कि हम यमदूत हैं और महाराज की आज्ञा से तुम्हारेे पुत्र के प्राण लेनेेे आए हैं परंतु गलती से तुम्हारा नमक खा लिया है अब तुम हमारे कहे अनुसार करोगे तो तुम्हारेेे बेटे के प्राण बच सकतेे हैं।
फिर उन्होंने किसान को कुछ समझाया।
जैसे ही सुबह हुई किसान का पुत्र नित्य कर्म से फारिग होने के लिए खेत में गया वहां उसे एक सांप ने काट लिया. किसान का पुत्र अचेेत होकर गिर पड़ा और कुछ ही समय में उसकी मृत्यु हो गई
पहले से ही उपस्थित किसान ने सांप को मार डाला और उसे गड्ढे में दफना दिया फिर अपने पुत्र का शव लेकर गांव के चौपाल पर आ गया और सब से कहने लगा मेरे पुत्र को भगवान ने मार दिया है.
लोग तरह तरह के सवाल करने लगे ऐसा कैसे हुआ? पर किसान बार बार एक ही जवाब दे रहा था मेरे पुत्र को भगवान ने मार दिया है. भगवान ने इसे खत्म कर दिया है
धीरे धीरे यह बात सारे गांव में फैल गई हर कोई कह रहा था किसान के पुत्र को भगवान ने मार दिया है.
किसी को बालक के मरनेे का वास्तविक कारण पता नहीं था इसलिए सब यही कहते थे भगवान ने मार दिया है
उधर यमदूत किसान के पुत्र का जीव लेकर यमलोक पहुंचे और यमराज को सारा हाल कह सुनाया।
यमराज ने कहा,"सभी जानतेे हैं मनुष्यों का जन्म मरण और भरण पोषण ईश्वर करते हैं लेकिन ईश्वर ने कभी इसे अपने ऊपर नहीं लिया वह हर घटना के पीछेेे कोई न कोई बहाना जोड़ देते हैं.
जब किसी को मन वांछित संतान की प्राप्ति होती है, मनचाहा वर मिलता है, व्यापार में फायदा होता है, मनचाहा रोजगार मिलता है, अपार धन की प्राप्ति होती है या कोई भी शुभ कार्य संपन्न होता है तो मनुष्य इसका श्रेय भगवान को देतेे हैं कि भगवान की कृपा से ये कार्य हुआ.
इसी तरह जब किसी को कोई नुक़सान या हानि होती है तो वह सौचता है कि मेरी किस्मत में यह लिखा था, नियति को यही मंजूर था या अमुक कारण से ऐसा हुआ. यहां इस घटना में किसान के बेटे को सांप ने काटा परंतु बड़ी चतुराई से किसान ने इसका कारण भगवान को बता दिया जो कि सत्य है. किसान ने ईश्वर पर सीधा दोषारोपण कर दिया है
किसान को उसकी इस चतुराई का फल अवश्य मिलना चाहिए जाओ जाकर इस बालक केे 'प्राण'को इसकी देह में प्रविष्ट करा दो."
इधर किसान ने जब देखा कि बालक के शरीर में हरकत हो रही है तो वह बहुत खुश हो गया और मन ही मन यमदूतों को धन्यवाद देनेे लगा. किसान का पुत्र जीवित हो गया. सारे गांव में खुशी की लहर दौड़ पड़ी किसान के अलावा किसी को पता न था कि यह चमत्कार कैसे हुआ?
इधर यमदूत भी खुश थे कि उन्होंने किसान का नमक खाकर उसके साथ गद्दारी नहीं की और न ही उन्हें यमराज का कोप भाजन बनना पड़ा।
"क्या युक्ति है?"
"इसके लिए हमें किसान को चलकर समझाना होगा"
फिर वे तीनों किसान के पास गए उसे बताया कि हम यमदूत हैं और महाराज की आज्ञा से तुम्हारेे पुत्र के प्राण लेनेेे आए हैं परंतु गलती से तुम्हारा नमक खा लिया है अब तुम हमारे कहे अनुसार करोगे तो तुम्हारेेे बेटे के प्राण बच सकतेे हैं।
फिर उन्होंने किसान को कुछ समझाया।
जैसे ही सुबह हुई किसान का पुत्र नित्य कर्म से फारिग होने के लिए खेत में गया वहां उसे एक सांप ने काट लिया. किसान का पुत्र अचेेत होकर गिर पड़ा और कुछ ही समय में उसकी मृत्यु हो गई
पहले से ही उपस्थित किसान ने सांप को मार डाला और उसे गड्ढे में दफना दिया फिर अपने पुत्र का शव लेकर गांव के चौपाल पर आ गया और सब से कहने लगा मेरे पुत्र को भगवान ने मार दिया है.
लोग तरह तरह के सवाल करने लगे ऐसा कैसे हुआ? पर किसान बार बार एक ही जवाब दे रहा था मेरे पुत्र को भगवान ने मार दिया है. भगवान ने इसे खत्म कर दिया है
धीरे धीरे यह बात सारे गांव में फैल गई हर कोई कह रहा था किसान के पुत्र को भगवान ने मार दिया है.
किसी को बालक के मरनेे का वास्तविक कारण पता नहीं था इसलिए सब यही कहते थे भगवान ने मार दिया है
उधर यमदूत किसान के पुत्र का जीव लेकर यमलोक पहुंचे और यमराज को सारा हाल कह सुनाया।
यमराज ने कहा,"सभी जानतेे हैं मनुष्यों का जन्म मरण और भरण पोषण ईश्वर करते हैं लेकिन ईश्वर ने कभी इसे अपने ऊपर नहीं लिया वह हर घटना के पीछेेे कोई न कोई बहाना जोड़ देते हैं.
जब किसी को मन वांछित संतान की प्राप्ति होती है, मनचाहा वर मिलता है, व्यापार में फायदा होता है, मनचाहा रोजगार मिलता है, अपार धन की प्राप्ति होती है या कोई भी शुभ कार्य संपन्न होता है तो मनुष्य इसका श्रेय भगवान को देतेे हैं कि भगवान की कृपा से ये कार्य हुआ.
इसी तरह जब किसी को कोई नुक़सान या हानि होती है तो वह सौचता है कि मेरी किस्मत में यह लिखा था, नियति को यही मंजूर था या अमुक कारण से ऐसा हुआ. यहां इस घटना में किसान के बेटे को सांप ने काटा परंतु बड़ी चतुराई से किसान ने इसका कारण भगवान को बता दिया जो कि सत्य है. किसान ने ईश्वर पर सीधा दोषारोपण कर दिया है
किसान को उसकी इस चतुराई का फल अवश्य मिलना चाहिए जाओ जाकर इस बालक केे 'प्राण'को इसकी देह में प्रविष्ट करा दो."
इधर किसान ने जब देखा कि बालक के शरीर में हरकत हो रही है तो वह बहुत खुश हो गया और मन ही मन यमदूतों को धन्यवाद देनेे लगा. किसान का पुत्र जीवित हो गया. सारे गांव में खुशी की लहर दौड़ पड़ी किसान के अलावा किसी को पता न था कि यह चमत्कार कैसे हुआ?
इधर यमदूत भी खुश थे कि उन्होंने किसान का नमक खाकर उसके साथ गद्दारी नहीं की और न ही उन्हें यमराज का कोप भाजन बनना पड़ा।
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